Friday, December 27, 2024
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Punjab News: आंदोलन से पहले किसान संगठनों में पड़ी फूट, दिल्ली और चंडीगढ़ में अलग-अलग देंगे धरना

आंदोलन से पहले ही किसान संगठन में फूट पड़ चुकी है। 18 किसान संगठन 13 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे। वहीं 18 जनवरी को पांच किसान संगठन चंडीगढ़ में पक्का मोर्चा लगाएंगे। दोनों ही स्थानों पर किसान अलग-अलग मांगों को उठाएंगे।

There was division among farmers organizations before Andolan

तीन केंद्रीय कानूनों के विरोध में साल भर दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करने वाला 32 संगठनों का संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) अब आंदोलन के मुद्दे पर भी बिखरने लगा है। बरनाला में रविवार को 18 किसान संगठनों की महापंचायत ने 13 फरवरी को दिल्ली चलो का एलान किया है, वहीं चंडीगढ़ में पांच किसान संगठनों ने 18 जनवरी से राजधानी में पक्का मोर्चा लगाने की घोषणा कर दी है। इनके बीच, भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) ने दोनों आंदोलनों से दूरी बना ली है।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हिमाचल और उत्तराखंड के 18 किसान संगठनों की महापंचायत का नेतृत्व किसान मजदूर यूनियन के नेता सरवन सिंह पंधेर कर रहे हैं। वहीं पांच किसान संगठनों के आंदोलन की कमान बलबीर सिंह राजेवाल ने संभाली है।

दिल्ली में आंदोलन की तैयारी कर रही महापंचायत, सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी कानून लागू करने, बुजुर्ग किसानों व खेत मजदूरों को 10 हजार रुपये मासिक पेंशन देने, फसल बीमा योजना लागू करने, किसानों व खेत मजदूरों के कर्ज माफ करने, बिजली अधिनियम 2020 को रद्द करने की मांग उठाने का फैसला किया है।

वहीं, चंडीगढ़ में पांच किसान संगठन, पंजाब में पानी के संकट और चंडीगढ़ पर पंजाब के अधिकार के मुद्दे उठाएंगे। हालांकि ये सभी मुद्दे पुराने हैं और इन पर किसान संगठनों में एकता बनी थी लेकिन अब किसान संगठन अलग-अलग धड़े में बंटते दिखाई दे रहे हैं। राज्य के बड़े किसान संगठनों में मतभेद के बाद पंजाब के किसान चिंता में हैं। किसान संगठन खुद मानते हैं कि संगठनों के बीच दरार का फायदा सीधे तौर पर सरकारों को होने वाला है।

सरवन सिंह पंधेर का कहना है कि दिल्ली के खिलाफ भी युद्ध आसान नहीं है लेकिन सभी का मकसद एक ही है। पंजाब की धरती सभी किसानों को एक बार फिर इकट्ठा करेगी। हर संगठन का एजेंडा अलग हो सकता है लेकिन खेती-किसानी से जुड़े मुद्दे साझा हैं। पिछली बार दिल्ली में आंदोलन के समय किसी संगठन के पास केंद्र से बात करने का तजुर्बा नहीं था लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। किसानों की मांगों को जोरदार ढंग से केंद्र के सामने रखा जाएगा।

इधर, बलबीर सिंह राजेवाल का कहना है कि चंडीगढ़ में मोर्चे का फैसला पांच संगठनों का है फिर भी अगर कोई किसान संगठन समर्थन करता है तो उनका स्वागत है। भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां का कहना है कि उनके संगठन की तरफ से अभी किसी तरह के आंदोलन की घोषणा नहीं की गई है और न ही उनका संगठन दिल्ली में या चंडीगढ़ में शुरू किए जा रहे आंदोलनों में हिस्सा लेगा।

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