पंजाब के बाग़बानी मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने आज राज्य में कृषि तकनीकों को और विकसित करने सम्बन्धी आपसी सहयोग के मौके तलाशने के लिए इजराइल के उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल के साथ मुलाकात की। मीटिंग के दौरान बाग़बानी प्रोजेक्टों में मौजूदा हिस्सेदारी के आधार पर खेती में डिजिटल क्रांति की ज़रूरत पर ज़ोर दिया गया। पंजाब में इजराइली हिस्सेदारी से बाग़बानी क्षेत्र में पहले भी कई प्रोजैक्ट चलाए जा रहे हैं।
पंजाब सिवल सचिवालय स्थित अपने दफ़्तर में मीटिंग के दौरान इजराइली दूतावास के नयी दिल्ली में गृह मामलों के बारे राजनैतिक सलाहकार मैडम हदास बख़सत के साथ मुलाकात के दौरान कैबिनेट मंत्री स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने कहा कि पंजाब में भूजल बहुत तेज रफ़्तार से घट रहा है जिसको बचाना समय की मुख्य ज़रूरत है। उन्होंने इजराइल से कम पानी से अधिक उपज देने वाली और बीमारी व वायरस रहित बाग़बानी की किस्में उपलब्ध करवाने के लिए कहा। कैबिनेट मंत्री ने राज्य में किन्नू की बंपर फ़सल होने पर किन्नू की सारी उपज की मार्किटिंग यकीनी बनाने के लिए खेत से मंडी तक की प्रौद्यौगिकी मुहैया करवाने के लिए भी कहा।
उन्होंने आपसी सहयोग के लिए मुख्य क्षेत्रों को उजागर किया, जिनमें कीटों के नाश के ख़ात्मे, जलवायु और मिट्टी के लिए निगरान प्रणालियों हेतु डिजिटल हल विकसित करना, फ़सल उपज के लिए कृत्रिम बौद्धिकता (ए.आई), डिजिटल स्पोर्ट व्यवस्था, कटाई और स्प्रों के लिए ड्रोनों का प्रयोग और मानक खेती के लिए सॉफ्टवेयर सल्यूशन विकसित करना शामिल है। विचार-चर्चा के दौरान भोजन की बढ़ती माँग के हल के लिए ग्रीनहाऊसिज़ और हाईड्रोपोनिक खेती में साल भर काश्त की संभावना के बारे भी विचार किया गया।
कैबिनेट मंत्री ने उच्च-तकनीकी खेती मशीनरी, कटाई मशीनें, ट्री शेकरज़, कलटीवेटरस, रोटरी मलचरज़ और स्पैशल फील्ड रोबोटस का प्रयोग पर ज़ोर देते हुये कुशल और टिकाऊ खेती के लिए सैंसर प्रौद्यौगिकी आधारित सिंचाई प्रणालियों और नवीनतम स्टोरेज सल्यूशनज़ के बारे विशेष ध्यान दिलाया।
नींबू प्रजाति की खेती में उन्नत अभ्यासों की ज़रूरत का ज़िक्र करते हुये स. चेतन सिंह जौड़ामाजरा ने जैविक अवशेष के प्रभावी प्रबंधन के लिए बाई-प्रोडक्कट तकनीकों के एकीकरण का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि किन्नू मैंडरिन फल के एक टुकड़े में औसतन 45-50 प्रतिशत जूस होता है और बाकी हिस्से में छिलके वग़ैरा होते हैं, जिसका अब तक कोई प्रयोग नहीं हुया। इसलिए नींबू प्रजाति के जैविक अवशेष जैसे लिमोनिन, छिलके का तेल आदि निकालने के प्रबंधन के लिए प्रोसेसिंग यूनिटों में नयी मशीनरी का प्रयोग काफ़ी लाभदायक होगा।
उन्होंने नींबू प्रजातियों की नयी पेटैंट किस्मों, कीटों के प्रति रोधक रूटस्टाकस और ड्रैगन फ़्रूट और रसबेरी जैसी नयी फसलों की काश्त करने के लिए नये बीज प्रदान करने के लिए भी कहा।
उन्होंने सब्जियों के क्षेत्र में, तरबूज़ की परथैनोकारपिक (बीज रहित) किस्मों, मशीनीकरण के लिए उचित मटरों और टमाटरों की एक ही बार में तोड़ने योग्य किस्मों और फ़्रूट और शूट बोरज़ प्रतिरोधक बैंगन की किस्मों की शुरुआत करने की वकालत की। उन्होंने कीटों और बीमारियों के प्रतिरोधक रूटस्टाक के साथ सब्जियों की ग्राफटिंग की महत्ता के साथ-साथ सब्जियों, ख़ासकर टमाटरों की प्रोसेसिंग किस्मों के विकास पर भी ज़ोर दिया।
कैबिनेट मंत्री ने बाग़बानी में बायो-डीग्रेडेबल और सलो रिलीज खाद तकनीक की ज़रूरत के साथ-साथ कीटों और बीमारियों पर काबू पाने के लिए बायो-पैस्टीसाईड प्रौद्यौगिकी के प्रयोग के लिए कहा। उन्होंने बाग़बानी सम्बन्धी फसलों में पौष्टिक तत्वों की कमी का पता लगाने के लिए तत्काल सैंसर-आधारित तकनीकों को शामिल करने की भी प्रस्ताव दिया।
भावी संभावनाओं के मद्देनज़र मंत्री ने कृषि विस्तार प्रणालियों में विश्वव्यापी रूझानों को अपनाने की बात कही। इसके इलावा उन्होंने 10 से 20 अधिकारियों का एक शिष्टमंडल इजराइल भेजने की इच्छा भी जतायी ताकि ऐसी नवीन और लाभकारी प्रणालियां पंजाब में लागू की जा सकें और राज्य के किसानों के जीवन-स्तर को और बेहतर और उज्जवल बनाया जा सके।
बाग़बानी विभाग की डायरैक्टर श्रीमती शैलेंद्र कौर ने बाग़बानी फ़सलों की कटाई के बाद होने वाले नुक्सान को घटाने के लिए इजराइल प्रौद्यौगिकी के सहयोग से पंजाब में एकीकृत वेल्यु चेन सैंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना पर ज़ोर दिया।
मिस हदास बख़सत ने कहा कि इजराइल पंजाब राज्य के साथ खेती और बाग़बानी क्षेत्र में प्रौद्यौगिकी का और विस्तार करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि राज्य में भूजल की समस्या से निपटने के लिए नवीन प्रौद्यौगिकी प्रदान करने और नयी बाग़बानी किस्में आदि मुहैया करवाने के लिए माहिर स्तर की मीटिंगें फरवरी और मार्च महीनें के दौरान की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि इजराइल द्वारा पंजाब में दो सैंटर आफ एक्सीलेंस पहले ही चलाए जा रहे हैं और इजराइल आगे भी खेती तकनीकें सांझा करता रहेगा।
मीटिंग के दौरान डायरैक्टर बाग़बानी श्रीमती शैलेंद्र कौर, सहायक डायरैक्टर बाग़बानी डा. हरप्रीत सिंह, डा. दलजीत सिंह और डा. बलविन्दर सिंह, बाग़बानी विकास अफ़सर श्रीमती बलविन्दरजीत कौर और अन्य अधिकारी मौजूद थे।