सर्वाइकल कैंसर के विकसित होने से 10-15 साल पहले कोशिकाओं में बदलाव शुरू हो जाता है। जांच से उसकी पहचान हो सकेगी। पहचान होने के बाद एब्लेशन थेरेपी से 40 सेकेंड में इलाज हो सकेगा।
देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर का शिकार हो रहीं हजारों महिलाओं का इलाज जल्द शुरू हो सकेगा। इन मरीजों की पहचान के लिए तीन स्वदेशी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) किट तैयार की गई हैं। किट के सटीक परिणाम की जांच के लिए एम्स सहित तीन लैब में ट्रायल शुरू हुआ है।
ट्रायल के दौरान एक साल में 1200 नमूनों की जांच की जाएगी। इसमें देखा जाएगा कि किट का प्वाइंट ऑफ केयर टेस्ट का परिणाम कितना प्रभावी है। जांच सफल रहने पर देश में कोविड की तरह व्यापक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर की जांच हो सकेगी। जांच पैरामेडिकल स्टाफ भी कर सकेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि देश में सर्वाइकल दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है। हर साल हजारों महिलाएं इससे दम तोड़ देती हैं। जबकि इस कैंसर के बनने से करीब दस साल पहले से कोशिकाओं में बदलाव होना शुरू हो जाता है। यदि समय पर इसकी पहचान हो जाती है तो कैंसर को बनने से रोका जा सकता है।
मिलेगा 40 सेकंड में इलाज
सर्वाइकल कैंसर के विकसित होने से 10-15 साल पहले कोशिकाओं में बदलाव शुरू हो जाता है। जांच से उसकी पहचान हो सकेगी। पहचान होने के बाद एब्लेशन थेरेपी से 40 सेकेंड में इलाज हो सकेगा। एब्लेशन थेरेपी में असामान्य उत्तकों को जलाकर नष्ट कर दिया जाता है।
स्वदेशी किट सस्ती और सुलभ : डॉ. नीरजा
एम्स, दिल्ली के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. नीरजा भाटला ने बताया कि एम्स सहित राष्ट्रीय प्रजनन एवं बाल स्वास्थ्य संस्थान (एनआइआरआरसीएच), मुंबई व एनआइसीपीआर, नोएडा में स्वदेशी किट का ट्रायल शुरू हुआ है। इसकी मदद से एक से डेढ़ घंटे में रिपोर्ट मिल जाएगी। 35 से 45 साल की उम्र में दो बार एचपीवी टेस्ट करने से कैंसर की पकड़ आसान हो जाती है। अभी विदेशी किट से जांच होती है जो काफी महंगे हैं। स्वदेशी किट सस्ते व सुलभ होंगे। इनके अंतरराष्ट्रीय मानक सत्यापित करने के लिए ट्रायल किया जा रहा है। बता दें कि देश में साल 2020 में अनुमानित 123,907 नए मामले आए। 77,348 मरीजों की मौत हुई।
10% महिलाओं में बढ़ता है वायरस
सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार ह्यूमन पैपिलोमा वायरस सभी महिलाओं में होता है, लेकिन 90% महिलाओं में यह अपने आप ही खत्म हो जाता है। केवल 10% महिलाओं में ही बढ़ता है जो आगे चलकर कैंसर का रूप ले सकता है। स्क्रीनिंग के दौरान इन्हीं 10% महिलाओं को जल्द पकड़ा जा सकेगा।
यूरिन की मदद से हो सकेंगी जांच
एम्स में सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए यूरिन की मदद से भी शोध किया जा रहा है। शोध कर रही विभाग की डॉ. ज्योति मीणा ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत 100 मरीजों पर ट्रायल चल रहा है। इसमें महिला खुद यूरिन का सैंपल दे सकती हैं। महिला के यूरिन में बदलाव होता है। जांच के दौरान यूरिन में एचपीवी को पकड़ा जा सकेगा।
वैक्सीन के लिए जल्द ही राष्ट्रीय कार्यक्रम
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए जल्द ही वैक्सीनेशन को लेकर राष्ट्रीय कार्यक्रम शुरू होगा। स्वदेशी वैक्सीन तैयार हुई है। अभी दो डोज स्वीकृत हैं। डब्लूएचओ ने भारतीय टीके की सिंगल डोज टीके के लिए दो वर्ष तक निगरानी करने के लिए कहा कि एक डोज से कितनी एंटीबॉडी बनती है।