Saturday, December 28, 2024
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पराली से प्रदूषण रोकने के लिए हर गांव में तैनात होंगे नोडल अधिकारी, मंडी बोर्ड बनाएगा कंट्रोल रूम

हर साल पराली जलाने के मामले को रोकने में असफल रहने के चलते ही सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि इस बार सरकार ने 19.52 मिलियन टन पराली के प्रबंधन करने का लक्ष्य तय किया है, जो पिछले सीजन से 3.66 मिलियन टन अधिक है। वर्ष 2023 में 15.86 मिलियन टन पराली का प्रबंधन किया गया था।

पंजाब के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने खरीफ सीजन में पराली के प्रबंधन के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे राज्य सरकार ने जारी कर दिया है। इसके तहत 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की गई है। हर गांव में नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा। पराली के प्रबंधन के लिए गांवों में कार्रवाई की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग को दी गई है।

पराली जलाने का कोई भी केस सामने आता है तो विभाग की तरफ से संबंधित गांव के पंचायत सदस्यों के खिलाफ मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह मंडी बोर्ड की तरफ से एक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा। बोर्ड पूरे राज्य में प्लान को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा और पूरे अभियान की निगरानी भी करेगा। साथ ही बोर्ड पराली जलाने के मामलों पर पर नजर भी रखेगा।

इस बार सरकार के लिए चुनौती भी अधिक है। बता दें कि धान की कटाई के सीजन 2024 के दौरान पराली के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनरी प्रदान करने के अलावा अन्य उपायों पर काम किया जाता है। पराली के प्रबंधन के लिए केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से 60-40 प्रतिशत रेशो के हिसाब से फंड जारी किया जाता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार की तरफ से जुलाई माह ही 150 करोड़ रुपये राज्य सरकार को जारी कर दिए गए थे।

पराली के प्रबंधन के लिए 75,135 मशीनें करेगी काम  

प्लान के मुताबिक पराली के प्रबंधन के लिए राज्य में कुल 1.30 लाख मशीने उपलब्ध है, जिसमेंं से 93,818 प्राइमरी मशीनें हैं। लेकिन इसमें से 75,135 मशीनें सही रूप से काम कर रही है। सरकार का दावा है कि इस साल खरीफ सीजन के दौरान पराली प्रबंधन के लिए ये मशीने काफी है। इसमें कुछ मशीनों के माध्यम से खेत के अंदर ही पराली का निपटारा किया जाएगा, जबकि बाकी बची पराली को लिफ्ट करके निपटारा किया जाएगा। इसमें 2521 हैप्पी सीडर, 51,976 सूपर सीडर, 771 सरफेस सीडर, 22 स्मार्ट सीडर, 4557 आरएमबी प्लाऊ और 15,289 जीरो ट्रिल ड्रिल मशीनें शामिल हैं। इसी तरह पराली के प्रबंधन के लिए इस बार किसानों को एक-एक हजार बेलर्स और रेक्स मशीनें प्रदान करने का भी सरकार का लक्ष्य है।

नोडल अधिकारी करेगा जागरुक

गांवों में तैनात नोडल अधिकारी की तरफ से लोगों को जागरुक किया जाएगा कि वह पराली का उचित प्रबंधन करें। साथ ही किसानों को उचित मशीनरी मुहैया करवाने में भी अधिकारी की तरफ से मदद की जाएगी। गृह विभाग का काम होगा कि पराली जलाने के मामले में उचित कार्रवाई की जाए, जिसके लिए पुलिस विभाग की जिम्मेदारी तय की जाएगी।

सभी जिलों में डीसी की तरफ से कमेटी गठित की जाएगी, जिसमें कृषि एवं किसान कल्याण, निगम, ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग, बिजली विभाग, पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों को शामिल किया जाएगा। इस कमेटी का काम होगा कि वह प्रत्येक पराली जलाने के मामले में कार्रवाई सुनिश्चित करेगी और साथ ही उसका डाटा भी मेंटेन करेगी। पराली की रोकथाम एवं नियंत्रण से संबंधित पूरे कार्यक्रम को राज्य स्तरीय समन्वय, जिला स्तरीय समन्वय, उपमंडल स्तरीय समन्वय, कलस्टर अधिकारी और गांव नोडल अधिकारी की तरफ से नियंत्रित किया जाएगा।

पिछली बार केस हुए कम, पर पूरी तरह से नहीं मिला छुटकारा

सरकार के प्रयासों से पिछली बार पराली जलाने के केस जरुर कम हुए, लेकिन पूरी तरह से इससे छुटकारा नहीं मिला। इसे जलाने से पैदा हुए धुएं से पंजाब ही नहीं उत्तर भारत के अन्य राज्य भी परेशान हैं। किसानों का तर्क है कि उनके पास साधन कम हैं। इसे डीकंपोज करना लाभकारी नहीं है। उनके पास जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।

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