हर साल पराली जलाने के मामले को रोकने में असफल रहने के चलते ही सरकार को किरकिरी का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि इस बार सरकार ने 19.52 मिलियन टन पराली के प्रबंधन करने का लक्ष्य तय किया है, जो पिछले सीजन से 3.66 मिलियन टन अधिक है। वर्ष 2023 में 15.86 मिलियन टन पराली का प्रबंधन किया गया था।
पंजाब के कृषि और किसान कल्याण विभाग ने खरीफ सीजन में पराली के प्रबंधन के लिए एक्शन प्लान तैयार किया है, जिसे राज्य सरकार ने जारी कर दिया है। इसके तहत 500 करोड़ रुपये की कार्य योजना तैयार की गई है। हर गांव में नोडल अधिकारी तैनात किया जाएगा। पराली के प्रबंधन के लिए गांवों में कार्रवाई की जिम्मेदारी ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग को दी गई है।
पराली जलाने का कोई भी केस सामने आता है तो विभाग की तरफ से संबंधित गांव के पंचायत सदस्यों के खिलाफ मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। इसी तरह मंडी बोर्ड की तरफ से एक कंट्रोल रूम स्थापित किया जाएगा। बोर्ड पूरे राज्य में प्लान को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा और पूरे अभियान की निगरानी भी करेगा। साथ ही बोर्ड पराली जलाने के मामलों पर पर नजर भी रखेगा।
इस बार सरकार के लिए चुनौती भी अधिक है। बता दें कि धान की कटाई के सीजन 2024 के दौरान पराली के उचित प्रबंधन के लिए किसानों को मशीनरी प्रदान करने के अलावा अन्य उपायों पर काम किया जाता है। पराली के प्रबंधन के लिए केंद्र व राज्य सरकार की तरफ से 60-40 प्रतिशत रेशो के हिसाब से फंड जारी किया जाता है। यही कारण है कि केंद्र सरकार की तरफ से जुलाई माह ही 150 करोड़ रुपये राज्य सरकार को जारी कर दिए गए थे।
पराली के प्रबंधन के लिए 75,135 मशीनें करेगी काम
पिछली बार केस हुए कम, पर पूरी तरह से नहीं मिला छुटकारा
सरकार के प्रयासों से पिछली बार पराली जलाने के केस जरुर कम हुए, लेकिन पूरी तरह से इससे छुटकारा नहीं मिला। इसे जलाने से पैदा हुए धुएं से पंजाब ही नहीं उत्तर भारत के अन्य राज्य भी परेशान हैं। किसानों का तर्क है कि उनके पास साधन कम हैं। इसे डीकंपोज करना लाभकारी नहीं है। उनके पास जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।