दिल्ली परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्स (एआईएस-140) के तहत एनआईसी के सहयोग से दिल्ली परिवहन विभाग (डीटीसी) और दिल्ली में चलने वाली सभी टैक्सियों में एक विशेष डिवाइस(पैनिक बटन व जीपीएस) लगाई जाएगी। इसके लिए परिवहन विभाग ने एनआईसी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
अभी तक डीटीसी की बसों को डिम्स देखती थी। मगर अब डिम्स से करार खत्म कर एनआईसी के साथ किया है। इसके तहत डीटीसी की बसों व टैक्सियों में विशेष डिवाइस लगाई जाएगी। इसका कंट्रोल रूम डीटीसी के कश्मीरी गेट स्थित कंट्रोल एंड कमांड रूम में बनाया जा रहा है।
यात्रियों की सुविधा और खासकर महिलाओं की सुरक्षा के लिए बसों में पैनिक बटन जैसी सुविधाएं दी गई है। पैनिक बटन दबाने के बाद कंट्रोल रूम में उस बस की लाइव लोकेशन दिखनी शुरू हो जाएगी, जिससे कमांड रूम उस बस को ट्रैक कर सकता है। बता दें कि पैनिक बटन लगने से बसों में किसी प्रकार की दुर्घटना, छेड़छाड़ जैस अपराध पर रोक लगेगी। इसके अलावा खासकर महिला यात्रियों को सुरक्षा मिलेगी।
दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि इस सिस्टम को लागू करने के लिए परिवहन विभाग, डीटीसी, दिल्ली पुलिस, एनआईसी व कंपनी को पदाधिकारियों को हर रोज बैठकें हो रही हैं। इस सिस्टम को जल्द से जल्द लागू करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। बैठकों में हर पहलुओं पर विस्तार से निरीक्षण किया जा रहा है।
बटन दबाते ही तीन जगह पहुंचेगी सूचना
एनआईसी के अधिकारी ने बताया कि इस डिवाइस का सॉफ्टेवयर एनआईसी ने बनाया है। इसके बटन को दबाते ही सूचना तीन जगह एनआईसी, क्यूक रेंस्पॉंस सिस्टम(पुलिस का 112 नंबर) और डीटीसी मुख्यालय को जाएगी। सूचना मिलते ही पुलिस की पीसीआर वैन तुरंत मौके पर पहुंच जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि पैनिक बटन लगाने का मकसद आपात स्थिति में यात्री उसे दबाकर अलर्ट कर सकता है। इसके बाद पैनिक बटन का इंडिकेशन बस के ड्राइवर/कंडक्टर और साथ ही कश्मीरी गेट स्थित कंट्रोल एंड कमांड रूम तक पहुंच जाएगा।
राजधानी की सड़कों पर दौड़ रहीं हैं 802 पीसीआर वैन
दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट की कुल 802 पीसीआर वैन इस समय सड़कों पर दौड़ रही हैं। बाकी पीसीआर वैन किसी खराबी के चलते गैराज चली जाती हैं। वैसे तो हर थाना क्षेत्र में दो से तीन पीसीआर होती है। पीसीआर यूनिट की पुलिस उपायुक्त पंकज ने बताया कि इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए पीसीआर वैन तैनात की जाती हैं। पीसीआर के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सबसे ज्यादा पीसीआर नई दिल्ली जिले में 99, दक्षिण-पश्चिमी जिले में 60-65, उत्तरी व मध्य जिले में ही काफी ज्यादा पीसीआर तैनात हैं। हालांकि जिले की मांग पर वहां पीसीआर तैनात करने का निर्णय लिया जाता है।