रक्षा मंत्री ने गुरुवार को डीआरडीओ से तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी इकोसिस्टम के साथ तालमेल बैठाते हुए आगे बढ़ने और बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुरूप रक्षा उपकरण तैयार करने का आह्वान किया। उन्होंने रक्षा विज्ञानियों से आग्रह किया कि वे तकनीकी रूप से उन्नत देशों द्वारा अपनाए जा रहे उत्पादों और प्रक्रियाओं पर नजर रखें तथा विशिष्ट प्रौद्योगिकियों का विकास करें।
आगे कहा कि डीआरडीओ की प्रत्येक प्रयोगशाला को दो-तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं की पहचान करनी चाहिए और उन्हें 2025 तक पूरा करना चाहिए। अगले स्थापना वर्ष तक हमारे पास ऐसी 100 परियोजनाएं होनी चाहिए जो पूरी की जा चुकी हों। राजनाथ ने निजी क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की, जिसमें संगठन द्वारा अपनी तकनीकें प्रदान करना और अपने पेटेंट तक मुफ्त पहुंच प्रदान करना शामिल है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी को लेकर कही ये बात
उन्होंने संगठन से ऐसे और क्षेत्रों की पहचान करने का आग्रह किया, जो निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ा सकते हैं और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र तभी प्रगति कर सकता है, जब सभी हितधारक मिलकर काम करें। रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ से अपने अनुसंधान एवं विकास प्रयासों में स्टार्ट-अप को शामिल करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया। कहा कि इससे विचारों के बहुमूल्य आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रक्षा क्षेत्र को बदलते समय के हिसाब से नवीन तकनीकों के साथ आगे आने का अवसर मिलेगा।