Thursday, January 23, 2025
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SKM के दोनों ग्रुप में फूट! Rakesh Tikait के बयान ने बढ़ाई दूरियां, कहा- केंद्र चल रही यह मोर्चा

कृषि और एक सी किसानी मांगों को लेकर शनिवार को पंजाब और हरियाणा में एक साथ दो अलग-अलग किसान महापंचायतें हुईं। इन पंचायतों से पूर्व संयुक्त किसान मोर्चा के दोनों ग्रुपों में एकता के आसार बनते नजर आए थे जब संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बनाई गई छह सदस्यीय कमेटी ने संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक के नेताओं के साथ बातचीत शुरू की लेकिन आज एसकेएम के नेता राकेश टिकैत ने बयान दिया।
बयान में उन्होंने कहा कि खनौरी में चल रहा मोर्चा केंद्र सरकार की ओर से चलाया जा रहा है और जानबूझकर इसे लंबा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह मोर्चा अभी और लंबा चलेगा।
टिकैत का कहना है कि खनौरी मोर्चा की ओर से किसानों, सिखों और पंजाब को बदनाम किया जा रहा है और इससे केंद्र सरकार को फायदा हो रहा है। टिकैत के इस बयान से दोनों संगठनों के बीच एकता की संभावना कम हो गई है।

चालीस दिन से अनशन पर बैठें हैं डल्लेवाल

ध्यान रहे कि एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर जगजीत सिंह डल्लेवाल जो संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता हैं पिछले चालीस दिनों से अनशन पर बैठे हैं।
आज उनके समर्थन में एसकेएम (गैर-राजनीतिक) ने एक किसान महापंचायत का आयोजन किया था। लेकिन इसके समानांतर ही संयुक्त किसान मोर्चा (राजनीतिक) ने भी हरियाणा के टोहाणा में एक महापंचायत का आयोजन कर दिया।
दिलचस्प बात यह है कि इस ग्रुप को बीते कल सुप्रीम कोर्ट की हाई पावर कमेटी ने बातचीत के लिए बुलाया था जिसमें शामिल होने से इनके नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने यह कहते हुए रद कर दिया कि अगर हम मीटिंग करते तो इससे गलत संदेश जाता। लेकिन इस बात का क्या जवाब है कि एसकेएम के समानांतर ही एक और महापंचायत कर दी गई है।

तीन कृषि कानूनों को लेकर बोले टिकैट

राकेश टिकैत ने कहा कि तीन कृषि कानूनों को लेकर दिल्ली में मोर्चा तोड़ने की कोशिश (संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक) की गई। उन्होंने कहा कि वह और अन्य नेता डल्लेवाल से मिले थे और चाहते थे कि सभी एक साथ आएं, लेकिन डल्लेवाल के साथी एकता नहीं चाहते थे।

किसान नेता डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि एकजुटता की कोशिश के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इस समिति ने सरवन सिंह पंढेर और अन्य सहयोगियों के साथ पटियाला में एक बैठक की, लेकिन डल्लेवाल का कोई भी सहयोगी बैठक में शामिल नहीं हुआ और न ही उन्होंने कोई सहयोग दिया।
वहीं, जगजीत सिंह डल्लेवाल के सहयोगी सुरजीत फूल ने टिकैट को जवाब देते हुए कहा कि जिन लोगों ने कभी मोर्चा नहीं लगाया वे ही ऐसी बातें कर रहे हैं। फूल ने कहा कि वे एक साल से संघर्ष कर रहे हैं।
किसान नेताओं के बयानों से साफ जाहिर है कि बेशक सभी किसान संगठनों के लक्ष्य और मांगें एक जैसी हैं, लेकिन आज जिस तरह से अलग-अलग महाकिसान पंचायतें हुई हैं, उससे दोनों संगठनों के बीच एकता के दरवाजे बंद होते नजर आ रहे हैं।

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