ये हैं मांगें
- दिल्ली में ग्रीन टैक्स की वजह से ट्रांसपोर्ट व्यवसायियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, जबकि अन्य राज्यों में यह लागू नहीं है।
- पड़ोसी राज्यों से माल भाड़ा अधिक होने से प्रतियोगिता में असमानता पैदा होती है। ऐसे में दिल्ली में आने वाले सामान से लदे ट्रकों को ग्रीन टैक्स से छूट दी जाए।
पार्किंग सुविधाओं का अभाव
दिल्ली में मालवाहक वाहनों के लिए पर्याप्त और उचित पार्किंग सुविधाएं नहीं हैं। मौजूदा पार्किंग स्थलों पर मनमानी वसूली की जाती है। ऐसे में मालवाहक वाहनों के लिए नई पार्किंग सुविधाएं विकसित करने और अवैध वसूली के खिलाफ सख्त कार्रवाई का प्रविधान हो।
माल और ट्रक चोरी
यातायात पुलिस का व्यवहार
यातायात पुलिस मालवाहक ट्रकों को चालान और अवैध वसूली के लिए रोकती है, जबकि यातायात संचालन पर ध्यान कम देती है। ऐसे में यातायात पुलिस को केवल कानून उल्लंघन की स्थिति में ही ट्रक रोकने का निर्देश दिया जाए।
वाहनों की फिटनेस सुविधा
दिल्ली में फिटनेस सेंटर सिर्फ झुलझुली, नजफगढ़ में है, जिससे व्यवसायियों को असुविधा होती है। सीमित फिटनेस सुविधाओं के कारण आर्थिक नुकसान होता है। ऐसे में दिल्ली में और अधिक फिटनेस सेंटर खोले जाएं।
प्रदूषण के चलते डीजल वाहनों पर प्रतिबंध
प्रदूषण बढ़ते ही डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है, जिससे ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को भारी नुकसान होता है। नई सरकार प्रदूषण नियंत्रण के दीर्घकालिक समाधान पर कार्य करे, ताकि व्यवसाय और आमजन दोनों को राहत मिले।
सवारी बसों से माल ढुलाई
सवारी बसों का माल ढुलाई के लिए अवैध उपयोग हो रहा है, जिससे कर चोरी और अनियमितता बढ़ रही है।मांग है कि परिवहन विभाग, जीएसटी और पुलिस के बीच समन्वय से ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाई जाए।
युवाओं को रोजगार व प्रदूषण रहित दिल्ली के लिए भी है चिंता
दिल्ली में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। पांच फरवरी को राजधानी के मतदाता अपनी सरकार चुनने के लिए मतदान करेंगे। इनमें युवा मतदाताओं के वोट भी अहम होंगे। दिल्ली में 18 से 19 वर्ष के दो लाख से अधिक मतदाता हैं। युवाओं में सर्वाधिक चिंता शिक्षा पर बढ़ रहे खर्च और रोजगार की है।
हालांकि, दिल्ली की खराब हवा को लेकर वे चिंतित हैं और इसमें सुधार चाहते हैं। यह मुद्दे उनके लिए काफी मायने रखते हैं। युवाओं का कहना है कि कौशल विकास पर राज्य सरकार ने खूब फोकस किया है, लेकिन, जमीनी हकीकत में काम होता नहीं दिख रहा है।
सरकार की ओर से बनाए गए कौशल विकास केंद्र कुछ खास नहीं कर पा रहे हैं। दिल्ली कौशल एवं उद्यमिता विश्वविद्यालय में डिप्लोमा कोर्स की फीस बढ़ा दी गई है। इससे वंचित वर्ग के छात्र सर्वाधिक परेशान हुए हैं। राज्य स्तर पर केंद्र की तर्ज पर विश्वविद्यालय खोले जाने चाहिए, जिससे छात्रों को सस्ती शिक्षा दी जा सके।