11 प्रतिशत लोग नशे के लिए गांजा, भांग और चरस तथा पांच प्रतिशत लोग नींद के लिए ली जाने वाली नशीली दवाइयों और बड़ी मात्रा में लोग कोकीन का भी इस्तेमाल करते हैं।
कानून व्यवस्था और बेरोजगारी पर भी जताई चिंता
उन्होंने पिछले पांच साल में लगभग 15 लाख लोग नशा मुक्ति के लिए सरकारी अस्पतालों की ओपीडी और नशा मुक्ति केंद्रों में पहुंचे हैं। हालांकि यह आंकड़ा इससे कई गुना बड़ा हो सकता है क्योंकि नशे की दलदल में फंसे लाखों लोग इलाज के लिए आगे नहीं आते हैं और अपनी जिंदगी तबाह कर लेते हैं।
हुड्डा ने कहा कि लचर कानून व्यवस्था के साथ प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी भी बढ़ते नशे की एक बड़ी वजह है। बेरोजगारी से हताश युवा नशे और अपराध के चंगुल में फंस रहे हैं और अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं।
नशीली दवाओं के मामलों में सजा की दर बढ़ी
हरियाणा में नशा तस्करों के खिलाफ लगातार अभियान और मजबूत पैरवी से अदालतों में नशा तस्करों को सजा दिलाने में अब अधिक कामयाबी मिल रही है। नशीली दवाओं के मामलों में सजा की दर वर्ष 2023 के 48 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2024 में बढ़कर 54 प्रतिशत हो गई है।
प्रदेश में 3445 गांव और 774 वार्ड नशा मुक्त घोषित कर दिए गए हैं। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित उत्तर क्षेत्रीय परिषद की वर्चुअल बैठक में मुख्यमंत्री नायब सैनी ने हरियाणा में नशे से निपटने की कार्ययोजना साझा की।
उन्होंने बताया कि मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ लड़ाई में पड़ोसी राज्यों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए पंचकूला में अंतरराज्यीय सचिवालय की स्थापना की गई है।