जालंधर: 2027 तक भारत के शहरों की गलियों में 50 हजार इलैक्ट्रिक बसें चलाने का लक्ष्य लेकर हाल ही में केंद्र की मोदी सरकार ने पी.एम ई-बस सेवा स्कीम लॉन्च की है जिसे देश के 169 शहरों में लागू किया जाएगा और अगले 10 सालों तक इन बसों का ऑपरेशन पी.पी.पी. मोड पर किया जाएगा। इस स्कीम के तहत जालंधर शहर का भी चयन किया गया है । स्कीम के तहत आने वाले समय में जालंधर में 12 रूट पर कुल 97 बसें चलाई जानी हैं।
इस स्कीम को गति प्रदान करने और जालंधर में इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए आज केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की एक टीम डिप्टी टीम लीडर (ऑपरेशंस) राम पैनिकर के नेतृत्व में जालंधर पहुंची जिसने निगम कमिश्नर आदित्य उप्पल और ज्वाइंट कमिश्नर पुनीत शर्मा इत्यादि से एक विस्तृत बैठक की। इस टीम ने प्रस्तावित साइट्स भी देखीं और कई मुद्दों पर जालंधर निगम अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा है। सूचना के मुताबिक लमा पिंड वर्कशॉप और नगर निगम मुख्यालय के निकट खाली पड़ी भूमि पर दो वर्कशॉप और चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। एक चार्जिंग स्टेशन बस स्टैंड टर्मिनल पर बनेगा। इनके सिविल वर्क और केबल इत्यादि की इंस्टॉलेशन पर आने वाले खर्च संबंधी एस्टीमेट पर भी चर्चा हुई।
तीन साइज की बसें शहर में 12 रूट्स पर चलेंगीं
जालंधर शहर के लिए जो प्रोजैक्ट डिजाइन किया गया है, उसके मुताबिक यहां तीन साइज, 12 मीटर, 9 मीटर और 7 मीटर लंबी बसें चलेंगी। यह इलैक्ट्रिक बसें केंद्र सरकार द्वारा भेजी जाएंगी। गौरतलब है कि सिटी बसों के संचालन हेतु जालंधर स्मार्ट सिटी ने पिछले दिनों एक कंसल्टेंसी कंपनी से सर्वे करवाया था जिसने बस रूट और अन्य प्रक्रियाओं बारे डी.पी.आर. तैयार की थी जिसके कुछ बिंदुओं पर केंद्र सरकार की टीम से चर्चा की गई।
बसों के अलावा करीब 24 करोड़ का है प्रोजैक्ट, निगम को देने होंगे सिर्फ 40 प्रतिशत
केंद्र सरकार के इस ई-बस प्रोजैक्ट के तहत जालंधर शहर का पहले ही चयन किया जा चुका है और यहां चलने वाली 97 बसों के लिए केंद्र सरकार 100 प्रतिशत मदद देगी। इन बसों की खरीद के लिए केंद्र सरकार ने टेंडर प्रक्रिया जारी रखी हुई है । tजहां तक बस स्टेशन और चार्जिंग प्वाइंट्स के सिविल वर्क इत्यादि की बात है , उस पर जालंधर में करीब 24 करोड रुपए का खर्च आने की संभावना है। केंद्र सरकार की इस योजना के तहत इस खर्च की 40 प्रतिशत राशि जालंधर निगम को वहन करनी होगी और बाकी केंद्र सरकार देगी। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनों में अगर यह प्रोजैक्ट जालंधर में लागू हो जाता है तो जहां शहर निवासियों को काफी फायदा होगा वही जालंधर के लिए यह प्रोजैक्ट मुफ्त में ही आ जाएगा।
10-12 साल पहले सफलतापूर्वक चला करती थीं सिटी बसें
अकाली भाजपा सरकार के कार्यकाल दौरान जालंधर में सिटी बस सर्विस शुरू की गई थी परंतु जालंधर निगम के अधिकारी इस सर्विस को ज्यादा लंबे समय तक चालू ही नहीं रख पाए और कंपनी को कई अडचने आईं जिस कारण 10 साल पहले इन बसों का परिचालन रोक दिया गया था। कुछ सालों तक इन सिटी बसों ने शहर निवासियों को अच्छी खासी पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की सुविधा दी थी और मात्र 10-20 रुपए में लोग इन बसों में सफर करने लगे थे। अब भी देखना होगा कि आने वाले समय में अगर यह प्रोजेक्ट चालू होता है तो क्या जालंधर निगम इसे चला पाएगा।