पीजीआई चंडीगढ़ में 15 वर्षों तक 250 मरीजों पर यह शोध किया गया। इसके परिणाम चौंकाने वाले सामने आए हैं। 90 फीसदी मरीज बिल्कुल ठीक हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं। पीजीआई के इस शोध को ब्रिटिश जरनल ऑफ हेमेटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
चंडीगढ़ पीजीआई के विशेषज्ञों ने अब बिना कीमो दिए कैंसर का इलाज ढूंढ लिया है। 15 वर्षों तक संस्थान में चले शोध के बाद यह सफलता मिली है। हेमेटोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया के मरीजों को बिना कीमो दिए पूरी तरह से ठीक कर दिया है। दावा है कि पीजीआई की इस उपलब्धि से भारत विश्व में बिना कीमो थैरेपी के कैंसर का इलाज करने वाला पहला देश बन गया है। पीजीआई के इस शोध को ब्रिटिश जरनल ऑफ हेमेटोलॉजी में प्रकाशित किया गया है।
पीजीआई हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख व शोध के सीनियर ऑथर प्रो. पंकज मल्होत्रा ने बताया कि इस मर्ज में मरीज की स्थिति तेजी से बिगड़ती है। अगर मरीज ने दो हफ्ते तक खुद को संभाल लिया तो उस पर इलाज का सकारात्मक प्रभाव तेजी से सामने आने लगता है लेकिन उन दो हफ्तों तक सर्वाइव करना बेहद कठिन होता है। विश्व में अब तक कैंसर के मरीजों को इलाज कीमो से ही हो रहा है लेकिन पीजीआई ने पहली बार कीमो के बजाय मरीजों दवाओं की खुराक दी। इसमें विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड शामिल किया।
कीमो की तुलना में मिला बेहतर परिणाम
इस शोध के फर्स्ट ऑथर डॉ. चरनप्रीत सिंह ने बताया कि 15 वर्षों तक संस्थान में चले इस शोध में 250 मरीजों को शामिल किया गया। उन मरीजों को कीमो की जगह विटामिन ए और आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड दिया गया। गंभीर मरीजों को दो साल तक और कम गंभीर मरीजों को चार महीने तक दवा दी गई और लगातार फॉलोअप के साथ टेस्ट किए गए। सभी 250 मरीजों की जब कीमो वाले मरीजों की स्थिति से तुलना की गई तो परिणाम काफी बेहतर मिला। कीमो की तुलना में शोध में शामिल मरीजों पर इलाज की सफलता दर 90 प्रतिशत रही। जो मरीज दो हफ्ते के दौरान सर्वाइव नहीं कर पाए उनका ही परिणाम नकारात्मक रहा। 90 प्रतिशत मरीज पूरी तरह ठीक हैं और सामान्य जीवन जी रहे हैं।