विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से गंभीर मरीज रेफर होकर आते हैं। इनमें से अधिकतर मरीज की स्थिति काफी खराब होती है। विस्तार से पढ़िए पूरी खबर।
दिल के मरीज छह माह तक ही रोग का बोझ झेल सकते हैं, लेकिन दिल्ली के बड़े अस्पतालों में हार्ट सर्जरी के लिए औसतन दो साल तक का इंतजार करना पड़ रहा है। मरीजों का दबाव ज्यादा होने से कुछ मामलों में तो छह साल तक की वेटिंग है। मसलन, एम्स में अयंश नाम के नवजात को छह साल की वेटिंग दी गई। वहीं, इसी अस्पताल से करीब दो साल की वेटिंग मिलने पर एक मरीज को अपना आपरेशन भारी खर्च पर एक निजी अस्पताल में करवाना पड़ा।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा सहित अन्य राज्यों से गंभीर मरीज रेफर होकर आते हैं। इनमें से अधिकतर मरीज की स्थिति काफी खराब होती है। ओपीडी में जांच के दौरान गंभीर मरीजों में से करीब 10 फीसदी को सर्जरी की जरूरत पड़ती है। इनमें वाल्व की खराबी, धमनियां के ब्लॉकेज सहित दूसरे जटिल मामले होते हैं। इन्हें जांच के बाद शरीर की स्थिति, दिल में क्षमता सहित दूसरे मूल्यांकन के बाद लंबी तारीख मिलती है। वहीं, सफदरजंग के हार्ट कमांड सेंटर में भी काफी जटिल मामले आते हैं।