पंजाब के डीजीपी गौरव यादव ने प्रदेश में लाइसेंसी हथियार रखने वालों पर नकेल कसने की तैयारी शुरू कर दी है। लाइसेंसी हथियार का बेवजह इस्तेमाल करने वालों के लाइसेंस रद्द करने को लेकर आदेश जारी किए गए हैं।
पंजाब में हथियारों का चलन बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में चार लाख के करीब लाइसेंसधारी हैं। लाइसेंसी हथियारों से बढ़ते अपराधिक मामलों को देखते हुए पुलिस ने न्यू आर्म्स लाइसेंस के लिए कुछ नये स्टैंडिंग ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) तैयार किए हैं। जो इस महीने से लागू होंगे। अब पंजाब में किसी नेता, व्यापारी या नामचीन व्यक्ति को अगर गैंगस्टर या आतंकी से जान से मारने की धमकी मिलती है तो न्यू आर्म्स लाइसेंस के लिए पंजाब पुलिस के एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स (एजीटीएफ) की रिपोर्ट अनिवार्य होगी। बिना एजीटीएफ के रिपोर्ट के लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। इसके अलावा न्यू आर्म्स लाइसेंस के लिए अब प्रदेश में सख्ती बढ़ाई जा रही है।
अभी तक न्यू आर्म्स लाइसेंस के लिए एरिया थाना से लेकर एसएसपी की और डीसी की रिपोर्ट लगती थी। लेकिन अब पुलिस नए लाइसेंस को जारी करने से पहले संबंधित व्यक्ति की इंटेलिजेंस से भी जांच कराएगी, ताकि इस बात की पुष्टि हो सके कि सही में आवेदक को लाइसेंसी हथियार की जरूरत है या नहीं।
हर जिले में एसएसपी को लाइसेंसी हथियार धारकों की रिपोर्ट तलब कर रिव्यू कर इनके लाइसेंस को जारी रखने या फिर रद्द कर एक महीने के अंतराल में रिपोर्ट देने को कहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पंजाब में लाइसेंसी हथियारों से जुड़े एक मामले में यह रिपोर्ट पेश की जानी है।
पुश्तैनी हथियारों के लाइसेंस ट्रांसफर करवाना हुआ चुनौतीपूर्ण
नए नियमों के तहत पंजाब में अब पुश्तैनी हथियारों के लाइसेंस को आगे बेटे या बेटी के नाम पर ट्रांसफर कराने की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण होगी। अगर किसी के पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी, किसी सुरक्षा कारणों और किसी केस में अहम भूमिका रखने पर पुश्तैनी हथियार का लाइसेंस हैं तो केवल वहीं लाइसेंस अब बिना देरी के ट्रांसफर हो रहे हैं। बाकी पुश्तैनी हथियारों के लाइसेंस जो कभी बनवाए गए थे, लेकिन अब ऐसे हथियारों को आगे उनके बेटे या बेटी के नाम पर ट्रांसफर किया जाना है, जिन्हें पुलिस की नजर में हथियार की कोई जरूरत नहीं है, ऐसे में इन हथियारों के लाइसेंस भी अब रद्द किये जा रहे हैं। पुश्तैनी हथियारों के लाइसेंस से जुड़े पूरे प्रदेश में करीब 12 हजार मामले अलग-अलग जिलों में लंबित पड़े हैं।