Saturday, December 28, 2024
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शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान फूंकेंगे नए कानून की कापियां, पुलिस अलर्ट

15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर पंजाब भर में किसान ट्रैक्टर मार्ट निकालेंगे। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसान तीन नए कानूनों की कापियां फूंकेंगे। वहीं, पुलिस प्रशासन भी अलर्ट हो गया है।

किसान मजदूर संघर्ष मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) की ओर से शंभू व खन्नौरी बॉर्डरों पर चल रहे किसानी आंदोलन-2.0 के बुधवार को 183 दिन पूरे हो गए हैं। वीरवार को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर किसानों की ओर से देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाले जाएंगे।इसमें मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों आपराधिक कानूनों का विरोध करते हुए इनकी कापियां फूंकी जाएंगी। यह जानकारी देते हुए किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने बताया कि इस मौके वह खुद अमृतसर में रहेंगे और उनकी अगुवाई में किसानों की ओर से बाघा बॉर्डर से अमृतसर तक ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा। इस दौरान तीनों आपराधिक कानूनों की कापियां जलाई जाएंगी।

वहीं, किसान नेता सुरजीत सिंह फूल भगता मंडी में, किसान नेता मनजीत सिंह रॉय होशियारपुर में मौजूद रहेंगे। इसके अलावा सुखविंदर कौर मौड़ मंडी में, सुखविंदर सिंह गिल फिरोजपुर, बलदेव सिंह जीरा में, अमरजीत सिंह मोहरी अंबाला शहर में मौजूद रहेंगे।

पंधेर ने कहा कि इसके बाद मोर्चे के 200 दिन पूरे होने पर 31 अगस्त को दोनों बॉर्डरों पर किसान महापंचायतें आयोजित की जाएंगी। इसमें देश भर से किसान नेताओं के अलावा कृषि माहिरों को बुलाया जाएगा और विचार-चर्चा करके आगे की रणनीति पर फैसला लिया जाएगा। पंधेर ने कहा कि घग्गर नदी में बढ़ते जलस्तर को लेकर वे पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। जरूरत पड़ी तो किसान गांवों की हरसंभव मदद करेंगे और इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं।

पंधेर ने साफ किया कि मांगें पूरी होने तक आंदोलन जारी रहेगा। अब वापसी मांगें पूरी होने पर ही होगी। उन्होंने केंद्र से एक बार फिर से एमएसपी की कानूनी गारंटी देने, किसानों व मजदूरों के कर्ज माफ करने, स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक किसानों को उनकी फसलों के भाव देने, लखीमपुर खीरी के शहीदों के परिवारों को मुआवजा देने व आरोपियों को सजाएं देने की मांग की है। पंधेर ने कहा कि बाॅर्डरों पर किसान खासे उत्साहित हैं। बॉर्डर खुलते ही ट्रैक्टर-ट्रालियों के साथ दिल्ली कूच किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बिना आंदोलन के मांगें पूरी होना संभव नहीं लग रहा, इसलिए किसानों से अपील है कि बॉर्डरों पर चल रहे आंदोलन को मजबूत करने के लिए बड़ी संख्या में भागीदारी करें।

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