दिल्ली एम्स में रोबोट से किडनी प्रत्यारोपण किया जाएगा। मौजूदा समय में सामान्य तरीके से अंगों का प्रत्यारोपण होता है। रोबोटिक मशीन आने के बाद प्रत्यारोपण की गुणवत्ता में सुधार आएगा।
एम्स में जल्द ही रोबोट से किडनी प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होगी। मौजूदा समय में सामान्य तरीके से अंगों का प्रत्यारोपण होता है। रोबोटिक मशीन आने के बाद प्रत्यारोपण की गुणवत्ता में सुधार आएगा। साथ ही मरीज की रिकवरी तेज होने की उम्मीद है।
एम्स में अभी दिल, लिवर, किडनी व पैंक्रियाज के प्रत्यारोपण होते हैं। इसमें लिवर का प्रत्यारोपण मृत शरीर से मिले अंग से होता है, जबकि किडनी का प्रत्यारोपण मृत व जिंदा व्यक्ति से मिले अंग से हो रहा है। हर साल करीब 180 प्रत्यारोपण हो जाते हैं। इनमें सबसे ज्यादा संख्या किडनी की है। एम्स के सर्जरी विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. आरुषि कृष्णा ने कहा कि जल्द ही रोबोट आने वाला है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में रोबोटिक की मदद से प्रत्यारोपण की सुविधा शुरू होगी।
देश में प्रत्यारोपण की सुविधा होगी बेहतर, कानून में हो सकता है बदलाव
देश में मांग के अनुपात में केवल 10% प्रत्यारोपण की सुविधा मिल रही है। इस समस्या के पीछे सर्जन की कमी के साथ पर्याप्त मात्रा में अंग उपलब्ध नहीं हैं। इन दोनों समस्या को सुधारने की दिशा में काम किया जाएगा। देशभर में प्रत्यारोपण करने वाले सर्जन ने एक सोसाइटी गठित की है। एम्स में इस इंडियन सोसाइटी ऑफ ट्रांसप्लांट सर्जन का दो दिवसीय सम्मेलन हुआ। इसमें प्रत्यारोपण सर्जनों की संख्या बढ़ाने के साथ उनकी गुणवत्ता को बेहतर करने, ट्रेनिंग देने सहित दूसरे मुद्दों पर चर्चा हुई।
जागरूकता अभियान चलाया जाएगा
चर्चा के दौरान आयोजन के अध्यक्ष डॉक्टर वीके बंसल ने कहा कि सोसाइटी का उद्देश्य देशभर में प्रत्यारोपण सर्जन की संख्या बढ़ाने के साथ गुणवत्ता को बेहतर करना है। अभी हमारे पास पर्याप्त अंग के साथ सर्जन की भारी कमी है। इस चुनौती को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। कमी दूर करने के लिए ज्यादा सर्जनों को ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही सरकार से मांग रखी गई है कि प्रत्यारोपण के लिए तीन साल के कानून में बदलाव हो। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस समय में कमी आएगी। बैठक में नीति आयोग के सदस्य ने भी इसपर आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि सोसाइटी का करिकुलम अगले तीन से छह माह में आ जाएगा।
अधिकतर अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की सुविधा नहीं
सोसाइटी के सम्मेलन के दौरान नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पॉल मौजूदा व्यवस्था पर नाराज हुए। उन्होंने कहा कि देश के ज्यादातर सरकारी मेडिकल कालेज के अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण की सर्जरी नहीं होती। यह चिंता का विषय है। देश की राजधानी में 40-50 साल पुराने अस्पताल हैं, लेकिन यहां भी प्रत्यारोपण न होना सवाल खड़ा करता है। ऐसे अस्पतालों में प्रत्यारोपण शुरू हो इसके लिए आगे रास्ता निकाला जाएगा। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय व राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के साथ आंतरिक मंथन करके देश में 60 सरकारी अस्पतालों में किडनी व 25 अस्पतालों में लिवर प्रत्यारोपण शुरू करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
कोर्स में होगा बदलाव
नीति आयोग के सदस्य ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण सर्जन की दूर करने के लिए दो से तीन वर्ष के प्रशिक्षण की जगह छह माह जैसे अल्प अवधि का प्रशिक्षण शुरू कर एक भारतीय मॉडल विकसित करना होगा। डीएनबी कोर्स को बढ़ावा देना होगा। देश में किडनी प्रत्यारोपण के लिए 612 अस्पताल पंजीकृत हैं। इसमें से 535 निजी अस्पताल और सिर्फ 77 सरकारी अस्पताल हैं। इनमें भी करीब 35 सरकारी अस्पताल ही सक्रिय रूप से किडनी प्रत्यारोपण कर रहे हैं। वहीं करीब 200 निजी अस्पतालों व 22 सरकारी अस्पतालों लिवर प्रत्यारोपण की। देश में करीब 300 सरकारी मेडिकल कालेज हैं। जिसमें 22 एम्स शामिल हैं।